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एक और नया दिन
आज फिर एक नया दिन शुरु हुआ,
नई चुनौतियों का सिलसिला शुरु हुआ,
बहुत कुछ है जो घट रहा है,
किसे तवज्जो दें इस बात पर सिर खप रहा है,
एक तरफ देश की नयी मिसाईल है,
तो दूसरी ओर बिपाशा का छोङा जातिय बम,
शरीफ जी कहीं घर लौट रहे हें ,
तो कहीं तस्लीमा खुद के घर से तंग,
ये सब हलचल कुछ थमी ही थी कि नई शुरु हो गई,
आज सुबह-सुबह ही धरती के प्रकोप से मुलाकात हो गई,
जो भी हो अब शाम हो चुकी है,
दिमाग की बत्ती भी अब गुल सी हो चुकी है,
कल की कल देखेंगे जो होगा,अभी तो बस ये गरम रजाई दिख रही है..........
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